Balkishor bhagat |
किसी अपने ने हमसे कहा, कि 'दोस्ती'पर क्यों नहीं लिखते?
तो हम उन्हें कहने वाले थे..की...
हमसे किसी ने ऐसी यारी निभाई ही ना कि उनके लिए जज्बात लिखूँ..
सभी ने तो मतलब से याद किया क्या मैं उनकी बात लिखूं..
आज भी सब जरूरत पड़ने पर याद करते हैं..
फिर भी हम उनके लिए फरियाद करते हैं
नहीं लिख पाए हम दोस्ती के लिए तो क्या करें...
काश मिल जाए ऐसा कोई जो मतलब से नहीं दिल से याद करें..
Creat by :- Balkishor bhagat(monu)
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