Budget 2020 ki yojnaye

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Budget 2020
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फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) क्षेत्र की कंपनियों ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से बजट में अपने लिए नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए छूट देने की मांग की है। उनका कहना है कि जब जनता के हाथ में पैसा होगा तभी वे खर्च करने की ओर बढ़ेंगे जिसका सीधा लाभ एफएमसीजी क्षेत्र को होगा। एफएमसीजी क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कंपनी एमवे इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अंशु बुद्धराजा का कहना है कि भारत में एफएमसीजी क्षेत्र में पिछले साल सुस्त वृद्धि के कारण उपभोक्ता मांग Budget 2020 कृषि क्षेत्र की कम आय और तरलता की कमी जैसे लक्षण देखे गए।

भारत एक विविध बाजार है और इसके पुनरुद्धार में कुछ समय लगेगा। हमारा मानना है कि सरकार उपभोग को प्रोत्साहित करने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही है।Budget 2020 आगामी बजट से भी उम्मीद है कि सरकार आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने पर प्राथमिकता से ध्यान देने के साथ बाजार की स्थिति को सामान्य बनाने के लिए उपभोक्ता मांग बढ़ाने और महंगाई को काबू करने के सुधार पेश करेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए व्यक्तिगत आयकर दरों को घटाना महत्वपूर्ण कदम होगा। ब्याज दर में कमी से भी उद्योग जगत को आसानी होगी।
डॉक्टर, वकील, कोचिंग संचालक भी नहीं देते हैं सेवा कर

डॉक्टर, वकील, कोचिंग संचालक जिसमें सबसे ज्यादा कमाई होती है, उनसे सरकार सेवा कर की वसूली नहीं करती है। 2012 में कुल आठ लाख लोगों ने अपनी खेती से आय दिखाई थी, जो कि करोड़ों रुपये में थी, हालांकि इस पर किसी तरह का कोई आयकर नहीं देना पड़ा था। अगर इनसे टैक्स वसूला जाने लगे तो फिर वेतनभोगियों पर कर की मार कम पड़ने लगेगी। इस बारे में कई बार विचार किया गया कि बड़े किसानों की आय पर टैक्स लगाया जाए,Budget 2020 लेकिन कोई भी सरकार इसके बारे में फैसला नहीं ले पाई है। 

सांसद भी नहीं देते हैं कोई टैक्स

देश में संसद सदस्य भी किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देते हैं, जबकि वो अपने वेतन के लिए भी खुद निर्णय लेते हैं। सांसदों को साल भर में 34 मुफ्त हवाई यात्रा एक साथी के साथ, ट्रेन के प्रथम श्रेणी में असीमित मुफ्त यात्राएं, मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं, बिना किराये का घर और 20 हजार रुपये मासिक पेंशन के तौर पर मिलते हैं। यह सारा उनको वेतनभोगी के टैक्स से मिलता है। वरिष्ठ नागरिकों को भी इस दायरे में नहीं लाया जाता है।  

इन पर मजबूरी में देना होता है कर

आयकर दाताओं को मजबूरी में स्वच्छ पानी, हवा, निजी सुरक्षा और सड़क का इस्तेमाल करने के लिए टैक्स देना होता है। हालांकि यह खर्च करने के बाद भी उनको कुछ बदले में सरकार की तरफ से मिलता नहीं है। विदेशों में जहां सरकारें स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य खर्च खुद वहन करती हैं, वहीं पर टैक्स देने वाले व्यक्ति को भारत में किसी तरह की सरकारी मदद स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी जाने पर खर्चा या फिर दुर्घटना होने पर नहीं मिलती है। 




आयकर विभाग (फाइल फोटो) - फोटो : PTI

देश भर में वेतनभोगी करदाता जितना टैक्स चुकाते हैं, उसके मुकाबले गैर-वेतनभोगी पर आयकर देय नहीं होता है। देश भर में आलम यह है कि दिल्ली-मुंबई में रहने वाला क्लर्क जिसकी मासिक आमदनी 10 हजार रुपये है, वो भी टैक्स भरता है।Budget 2020 हालांकि यूपी या फिर पंजाब का बड़ा किसान जो साल भर में पांच लाख रुपये से अधिक कमाता है, उसकी आमदनी पर किसी तरह का कोई टैक्स देय नहीं होता है। अभी आयकर की हालत ये है कि 15 लाख की गाड़ी खरीदने वाला व्यक्ति केवल 18.78 लाख रुपये अतिरिक्त पैसा टैक्स पर सरकार को दे देता है। इसमें पेट्रोल पर लगने वाले टैक्स के अलावा टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क भी शुमार है। 

43 फीसदी चुकाते हैं आयकर

30 लाख की सालाना कमाई वाला व्यक्ति आयकर के तौर पर अपनी आय का 43 फीसदी वेतन दे देता है। फिलहाल अभी आयकर की दर 30 फीसदी है, लेकिन इस पर 13 फीसदी सेस और सरचार्ज के तौर पर अतिरिक्त लिए जाते हैं। अभी भी देश में निजी या फिर सरकारी नौकरी में लगे लोगों से आयकर वसूला जाता है, जो केवल सात फीसदी है। 

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नौकरी पेशा व्यक्ति एक साल में कुल 76306 रुपये टैक्स के तौर पर देता है। वहीं गैर-नौकरीपेशा व्यक्ति केवल 25753 रुपये टैक्स के तौर पर देता है। इस हिसाब से इसमें तीन गुणा का अंतर देखने को मिलता है। अगर गैर नौकरी पेशा व्यक्ति भी टैक्स देने लगें तो सरकार को इससे 50 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होनी लगेगी। हालांकि अभी तक किसी भी वित्त मंत्री ने इसके बारे में किसी तरह का कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। 

15 लाख की गाड़ी खरीदने के लिए होना चाहिए 21 लाख की कमाईBudget 2020

अगर कोई व्यक्ति देश में 15 लाख रुपये की गाड़ी को खरीदना चाहता है, तो उसकी सालाना कमाई 21.42 लाख रुपये होनी चाहिए। 15 लाख की गाड़ी पर उस व्यक्ति को 6.42 लाख टैक्स के तौर पर देने होंगे। कार के कुल मूल्य में से कंपनी और डीलर को 9.80 लाख रुपये मिलते हैं, जिस पर टैक्स के तौर पर वो 5.20 लाख रुपये देते हैं।

अगर कोई व्यक्ति एक लाख किलोमीटर गाड़ी चलाता है तो उस पर उसे अधिकतम 7.55 लाख रुपये का खर्चा आएगा। इसके लिए आपकी कमाई 10.78 लाख रुपये होने चाहिए, क्योंकि आयकर के तौर पर 3.23 लाख और पेट्रोल पर लगने वाले कर के तौर पर 3.92 लाख रुपये देने होंगे। इस हिसाब से आप कुल 32.20 लाख रुपये खर्च करते हैं।Budget 2020यह रकम 15 लाख रुपये की कार खरीदने पर अतिरिक्त देनी होगी।



रोजगार-आमदनी बढ़ाने पर जोर 

एफएमसीजी क्षेत्र की घरेलू कंपनी आद्विक फूड्स के सह संस्थापक श्रेय कुमार का कहना कि बजट के जरिये सरकार रोजगार सृजन और ग्रामीण इलाकों में आमदनी बढ़ाने पर जोर दे। इससे एफएमसीजी क्षेत्र में मांग बढ़ेगी। साथ ही छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए ऋण सुविधाओं के विकास और सहूलियत पर ध्यान दिए जाने से भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। डेयरी उद्योग सीधे किसानों की आय और आजीविका को प्रभावित करता है। देसी डेयरी कंपनियों को इन देशों में उत्पादों का निर्यात करने की अनुमति दी जानी चाहिए। 

कोट: जीएसटी परिषद फिलहाल दरों में कोई बड़ी राहत नहीं देने जा रही, ऐसे में सरकार को कंपनियों को ही राहत देनी होगी। इस कदम से कंपनियां भी आम आदमी तक कीमतें घटाकर उत्पाद पेश करने को प्रोत्साहित होंगी। इसका लाभ आम जन के साथ उद्योग जगत को भी होगा। इसके अलावा आईटी निर्यात और आईटी सेवाओं के निर्यात पर जारी संशय को भी दूर करना होगा। सरकार को मुकदमेबाजी में फंसे कर मामलों के जल्द निपटारे के लिए इनकम टैक्स एम्नेस्टी स्कीम लाने पर जोर देना चाहिए। 
मंदी के दौर से उभरने के लिए देहरादून के उद्योगपतियों ने केंद्र के आम बजट 2020-21 से काफी उम्मीदें लगा रखी है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के लिए बुनियादी ढांचागत विकास, छूट के लिए आयकर की सीमा बढ़ाने और विशेष औद्योगिक पैकेज के माध्यम से छोटे उद्योगों को राहत दिलाने की आस है।

उद्यमियों का कहना है कि एमएसएमई उद्योगों के लिए सस्ती ब्याज दरों को ऋण की सुविधा और कारोबार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार को बजट में फोकस करना चाहिए। 

आम बजट में इंडस्ट्रियल सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देने की जरूरत है। आज उद्योगों की हालत अच्छी नहीं है। इसके लिए टैक्स स्लैब को बढ़ाया जाना चाहिए। बजट से उम्मीद है कि सरकार इंडस्ट्री के लिए राहत लेकर आएगी। हमारी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से ग्रामीण और कृषि पर निर्भर है। इससे दोनों की सेक्टरों में निवेश के लिए विशेष प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
-सुमनप्रीत सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, सीआईआई उत्तराखंड

इन्होंने भी रखी राय

वर्तमान में इंडस्ट्रीज सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहा है। उपभोक्ता की खरीद क्षमता कम हुई है। पैसा न होने से बाजार मंदा पड़ा है। इन चुनौतियों का सामना उद्योग कर रहे हैं। आम बजट में एमएसएमई उद्योगों को आयकर में विशेष छूट मिलनी चाहिए और जो पैसा बाजार गायब है, उसे वापस लाने की जरूरत है। साथ ही ऐसे प्रोजेक्टों की व्यवस्था करनी होगी, जिससे उद्योगों के लिए बुनियादी ढांचा मजबूत हो सके।
-पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्री एसोसिएशन आफ उत्तराखंड

कारोबार सुगमता के लिए इज आफ डुईंग बिजनेस सिस्टम को धरातल पर उतारने के लिए सरलीकरण होना चाहिए। पर्यटन, कृषि, आयुष, हेल्थ सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर है। इन पर आधारित उद्योगों के लिए विशेष प्रोत्साहन की उम्मीद है। निवेशकों को सुविधाएं व प्रोत्साहन मिलेगा तो निवेश बढ़ेगाBudget 2020 इससे रोजगार के नए अवसर पर उपलब्ध होंगे।
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