हाँ साथी मेरे

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Balkishor bhagat (monu )


हमारे साथियो के लिए दिल से लिखी हुई कुछ लाइन :-


आओगे थक कर जो हां साथी मेरे, कंधे पर सर  टिका साथी मेरे 

बोलोगे तुम जो भी हाँ साथी मेरे, मोती सा उठा लूंगा साथी मेरे 

पलकों की कोरों पर आए जो आंसू, मैं क्यों डरूंगा बता साथी मेरे 

उंगली तुम्हारी तो पहले से होंगी,गालों पर मेरे तो हा साथी मेरे l

तुम हंस पढ़ोगे तो मैं हंस पढ़ूंगा,तुम रो पड़ोगे तो मैं रो पड़ूँगा l

 लेकिन मेरी  बात इक याद रखना, मुझको हमेशा ही हाँ साथ रखना

जुडती जहां यह जमीन आसमां से,हद हां हमारी हो शुरू वहां से,

तारों को छू ले जरा सा संभल के, उस चांद पर जाएं जरा फिसल के 

वह जाएं दोनों हवा से निकल के,

सूरज भी देखे हमें और जल के,

होगा नहीं हमसे मालूम साथी, तीनों जहां का असर, तीनों जहां का असर 

की राहों को राहे बताएंगे साथी हम,

ऐसा हाँ होगा सफर..

उजला ही उजला....

                                    Create by:- Balkishor Bhagat


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