आज फिर कुछ लिखने का मन किया
और मैं बन जाऊं तेरी तरह....
काश तुम इंतजार करो मेरी तरह
और मैं ना आऊं तेरी तरह.....
काश तुझे भी तकलीफ हो मेरी तरह
और मैं पत्थर बन जाऊं तेरी तरह...
काश तुम भी तरसो मेरी तरह
और मैं खामोश हों जाऊं तेरी तरह....
काश तू भी जागे रातो को मेरी तरह
और मैं सो जाऊं तेरी तरह.....
काश तू मेरे साथ को तरसे मेरी तरह
और मैं तन्हा हो जाऊं तेरी तरह.....
काश तुम मुझसे लिपट कर रोना चाहे मेरी तरह
पर तुझे वक्त ही ना दूं तेरी तरह.....
देखना एक दिन खामोश हो जाऊं तेरी तरह
और आप अकेले रह जाओगे मेरी तरह....
Creat by :- Balkishor bhagat
Please do not enter any spam link in the comment box.