Ajmati hai jindgi hame bahaar ki.

0
Balkishor bhagat

आजमाती है जिंदगी हमें यूं तो बहार की
पर जीने नहीं देती यह जिम्मेदारियां संसार की||
यूं तो तन्हा रहते हैं कब खत्म होगी यह घड़ियां इंतजार की 
न जाने कब दिन आएंगे वह जब होगी जिंदगी सदाबहार कि ||
आजमाती है जिंदगी हमें यूं तो बहार की.......
यूँ तो सब कुछ करना चाहते हैं पर चिंता सताती है घर बार कि 
ऐ  बदल जा जिंदगी ताकि हम भी करें बात दो चार कि ||
आजमाती है जिंदगी हमें यूं तो बहार की.......
शायद मिल जाए कोई ऐसा जो सुने इस दिलदार की 
पर जीने नहीं देती यह जिम्मेदारियां संसार की ||
आजमाती है हमें जिंदगी यूं तो बहार की.....
जा रे साथ छोड़ दे हमारा जीने दे हमें जिंदगी सदाबहार कि 
आ मिल जा रे कोई हमें जो समझे हमें एक बार की 
 यूं तो ख्वाब देख देख कर हो गई है जिंदगी बेकार की ||
आजमाती है हमें जिंदगी यूं तो बहार की.....
सब तो है पर कुछ नहीं क्या यही रीत है संसार की 
आ मिल जा रे और कर दे मेरी भी जिंदगी सदाबहार कि ||
आजमाती है हमें जिंदगी यूं तो बहार की....
हम भी तो डरे सहमे रहते  हैं ना बात करें हजार की 
सोचते हैं हम 'चल हटा'पर बात तो है हर बार की||
 पर बात तो है हर बार की
 पर बात तो है हर बार की||
आजमाती है जिंदगी हमें यूं तो बहार की.... 

       Written  by:--Balkishor Bhagat(monu)
Tags

Post a Comment

0Comments

Please do not enter any spam link in the comment box.

Post a Comment (0)